आप भी छोड़िये... मगर खाली नहीं

Tuesday, 13 July 2010

लो हम भी आ गये...

टच पैड को बार बार रौंदा नहीं जा रहा था...लिहाज़ा चूहे को पकड़ के धरती पे ऐसा रगडा की वो अपनी पैदाइश पे रो रहा होगा...खैर ...लीजिये हम भी आ गए...लेकिन मेहनत बहुत की... क्या क्या प्रपंच नहीं किये...ये फोटो नहीं ...वो फोटो नहीं...ये टाईटिल नहीं वो टाईटिल नहीं... पूरी जिंदगी की पढाई का निचोड़ निकाल के जो टाईटिल दिमाग में आया कम्बखत वो किसी और ने पहले ही टांग दिया था...छत्तीस बार दिमाग ख़राब...उधार के पैसों के लैपटॉप को ऐसा अधमरा कर दिया जैसे ..'भारत टीवी' वाले..' भीड़ का इन्साफ'... दिखाते हैं....और कई बार झल्ला के नए नए तकियाकलाम ईजाद किये (जिन्हें बेवक़ूफ़ लोग गालियां कहते हैं)...खैर चलिए साब बन गया ....ब्लॉग...हालाँकि मेरे घरभाई (रूममेट) को बैकग्राउंड अभी भी पसंद नहीं आया...