आप भी छोड़िये... मगर खाली नहीं

Friday, 22 October 2010

राज़

हम राज़ छुपाए बैठे है
वो घात लगाए बैठे है
उम्मीद मे दोनो की दम है
हम शमा बुझाए बैठे है
वो आग लगाए बैठे है...

उस तंत्र के देखो चर्चे है
चौखट पर नींबू मिर्चे है
चौराहे पर जलते दिए देखो
खुशियों के कितने खर्चे है
हर ओझा हार गया देखो
कैसी हाय लगाए बैठे है

हम राज़ छुपाए बैठे है
वो घात लगाए बैठे है

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