आप भी छोड़िये... मगर खाली नहीं

Sunday, 10 April 2011

रोटी मिल गयी

खुश रहो सरकार
रोटी मिल गयी
आधी खाई आधी सिहाने रख दी
रोटी मिल गयी
कुत्ते भी भूखे हम भी भूखे
हम एक थे वो चार
झपट वो भी झपटे हम भी
रोटी मिल गयी
अब चाँद भी दिखा ईद भी मानेगी
रोटी मिल गयी
ओह राम भी गए याद
रोटी मिल गयी
खुश रहो सरकार रोटी मिल गयी...

1 comment:

  1. वक्त से वक्स की क्या शिकायत करें वक्त ही न रहा वक्त की बात है.लेखन अच्छा है,उससे कहीं अधिक आपका आक्रोश अच्छा लगा,हर युवा ये बात होनीं चाहिये,परिवर्तन के लिये ये जरूरी भी है,इसे बचा कर रखों,अच्छे तेवर हैं,आपकी पसंद और आपका अंदाज हमेशा से मुझे अच्छा लगा है,सो ये रचना भी अच्छी लगी,भाई छोटे छोटे ही सहीं मगर जुगनू खुद्दार होते हैं,सूरज का मांगा उजाला नहीं पीते,दीपक का ये अंदाज मुझे खूब पसंद आया,लिखते रहो हमें आगे बहुत कुछ करना है

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