आप भी छोड़िये... मगर खाली नहीं

Wednesday, 12 October 2011

अन्ना का पंखा


पुरानी टेबल के ऊपर कुर्सी ...
कुर्सी के ऊपर डब्बा ...
डब्बे के ऊपर एक और डब्बा ...
उसके ऊपर अन्ना ...
नीचे टेबल के एक पैर को केजरी ने
एक को किरण ने ..
एक को मनीष ने
और एक को प्रशांत ने थामा है..
केजरी गये हिसार
किरण गयी..पता नही कहाँ
मनीष गये दूसरा काम पकड़ने
और प्रशांत उंघते उंघते कश्मीर पहुँच गए...
हालाँकि उनको जगाने की कोशिश की गयी है...
लेकिन अन्ना के बूढ़े हाथ
लोकपाल का पंखा कैसे टांगेंगे...
ये अग्निवेश जी क्यूँ हंस रहे हैं...रामदेव जी आप भी....

2 comments:

  1. अच्छी पिचकारी और चोखा रंग,देखने वाला भी दंग और पढ़ने वाल मस्त मलंग,बहुत अच्छा अनुज,अन्ना टीम के सदस्य आंदोलन के नहीं बल्कि सत्ता के भूखे हैं,अन्ना का भी हाल गांधी जैसा ही होगा,धोखेवाज इन्हे भी फ्रेम में डालकर दीवार लटकाएंगे...लिखते रहो..keep it on

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